Wednesday, August 7, 2013

मुक्तक : 301 - तेरे चेहरे


तेरे चेहरे सा न दूजा चौदवीं का माहताब ॥
ढूँढ क्या सकेगा कोई लेके हाथ आफ़्ताब ?
तुझसी नाज़नीन तुझसी बेहतरीन महजबीन ,
तेरे आगे जन्नतों की हूरें भी हैं लाजवाब ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...