Sunday, August 4, 2013

मुक्तक : 298 - एक माँँगो तो


( चित्र गूगल सर्च से साभार )

एक माँगो तो सिर्फ़ एक कहाँ देते थे ?
आधी गागर के बदले पूरा कुआँ देते थे !!
अब ज़माने में वो न दोस्त रहे पहले से ,
हँसते-हँसते जो अपने दोस्त को जाँ देते थे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...