Saturday, August 24, 2013

मुक्तक : 320 - बेबस बक़ैद आस्माँ



बेबस बक़ैद आस्माँ बेकस ज़मीं लगे ॥
औरत उदास ग़मज़दा सा आदमी लगे ॥
बदहाल है आलम तमाम मुल्क़ का यारों ,
अब ये निज़ाम तो बदलना लाज़मी लगे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...