Monday, August 19, 2013

मुक्तक : 314 - जाता नहीं मैं


जाता नहीं मैं भूलकर भी अब तो वहाँ पे ॥
आती है तेरी बेपनाह याद जहाँ पे ॥
आबाद कैसे फिर मैं वीराँ दिल करूँ बता ?
फिर से बसाऊँ बस्ती मोहब्बत की कहाँ पे ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...