Tuesday, August 27, 2013

मुक्तक : 322 - जिसको थी तमन्ना


जिसको थी तमन्ना मेरी उसको न मिल सका ॥
लेकिन मैं उसके दिल से उम्र भर न हिल सका ॥
मैं भी न उससे रहके दूर हँस सका कभी ,
वो भी न मेरे हिज्र में मुरझा के खिल सका ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...