क्या ग़ज़ब की उसने क़िस्मत
पाई है यारों ॥
जुर्म कर कर के भी इज्ज़त
पाई है यारों ॥
भोगते हैं नर्क हम सच्चाई
पे चलकर ,
उसने छल-छंदों से जन्नत
पाई है यारों ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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