Wednesday, July 31, 2013

मुक्तक : 295 - ऊँछती है मेरी


ऊँछती है मेरे बालों को अपनी पलकों से ॥
झाड़ती है माँ मेरी धूल अपनी अलकों से ॥
कैसे हो जाऊँ उसकी आँख से ओझल उसको ,
चैन आता है नित्य मेरी सतत झलकों से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...