Wednesday, July 3, 2013

मुक्तक : 262 - इक बार यकायक



इक बार यकायक मज़ाक अजीब कर दिया ॥
किस्मत ने यों अमीर को गरीब कर दिया ॥
हासिल था कोहेनूर के सब दिल पे जिसका हक़ ,
इक ताज को उसका अदू , रक़ीब कर दिया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...