Wednesday, July 24, 2013

मुक्तक : 283 - वांछित थे उपन्यास


वांछित थे उपन्यास मिलीं किन्तु वृहद गल्प ॥
अत्यंत के भिक्षुक थे पाया न्यूनतम-अत्यल्प ॥
ये भाग्य-दोष था कि जिस लिए किए थे यत्न,
उसके उचित स्थान पे प्रायः मिले विकल्प ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...