वांछित थे उपन्यास मिलीं किन्तु वृहद गल्प ॥
अत्यंत के भिक्षुक
थे पाया न्यूनतम-अत्यल्प ॥
ये भाग्य-दोष था
कि जिस लिए किए थे यत्न,
उसके उचित स्थान पे प्रायः मिले विकल्प ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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