Tuesday, July 30, 2013

मुक्तक : 293 - जब तक थे



जब तक थे तेरे ख़्वाबों ख़यालों में खोये से ॥
जागे हुए भी हम थे जैसे सोये-सोये से ॥
ठोकर ने तेरी नींद तो उड़ा दी हाँ मगर ,
हँसते हुए भी लगते अब तो रोये-रोये से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...