Wednesday, July 31, 2013

गोदान,ग़बन,निर्मला................

गोदान ,ग़बन ,निर्मला इत्यादि उपन्यास ॥
जितने थे प्रेमचंद के सारे थे बहुत ख़ास ॥
लिक्खीं थीं जितनी भी कहानियाँ कफ़न तलक ,
आदर्श से यथार्थ के सब ही थीं आस-पास ॥
सब ही थीं आस-पास जो लिक्खा था था क़माल ,
पढ़ने को उन्हे कितनों ने सीखी थी हिन्दी-भाष ॥  
 -डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...