Friday, July 5, 2013

मुक्तक : 267 - जिसने कि ख़ुद


जिसने कि ख़ुद ही मुझको गुनहगार किया है ॥
हैरान हूँ उसी ने गिरफ़्तार किया है !
जानूँ न क्यों डुबो रहा है सूखी नहर में ,
नदियों से गहरी-गहरी जबकि पार किया है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...