Friday, July 5, 2013

मुक्तक : 266 - मिलते न ले




मिलते न ले चिराग़ भी ढूँढे से वफ़ादार ॥
अंधों से भी टकराएँ मगर ढूँढ के ग़द्दार ॥
ये कैसा ज़माना है कि दिल तो है सबके पास ,
लेकिन नहीं हैं मिलते दिलनवाज़ न दिलदार ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

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वहा सा .. आनंद दायक ..

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डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Yash Babu जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...