Thursday, July 4, 2013

मुक्तक : 265 - बस स्वप्न ही न देख


बस स्वप्न ही न देख न केवल विचार कर ॥
करना है जो भी तुझको तो वो आर-पार कर ॥
निश्शंक सादगी का पहन कर तू जामा चल ,
बस बैलगाड़ी चाल तज स्वयं को कार कर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...