Wednesday, July 24, 2013

मुक्तक : 282 - अभी धोख़ा नहीं खाया


अभी धोख़ा नहीं खाया अभी मातम से ख़ाली है ॥
ग़ज़ल कहना तो है लेकिन अभी दिल ग़म से ख़ाली है ॥
खड़ा कर दे जो बहरों के भी कानों को वो कहना है ,
मगर आवाज़ अभी मेरी ये उस दमख़म से ख़ाली है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत उम्दा ... लाजवाब मुक्तक ...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! दिगंबर नासवा जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...