Tuesday, July 23, 2013

मुक्तक : 281 - दिल में कितनी..........


दिल में कितनी थी तमन्नाएँ सब्ज़ो-लाल मगर ॥
रह गईं होते - होते पूरी बाल - बाल मगर ॥
कुछ ख़तावार हम थे कुछ थी हमारी क़िस्मत ,
चाहते थे उड़ें आज़ाद मिले जाल मगर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...