Sunday, July 7, 2013

मुक्तक : 274 - कब किसी क़िस्म..............

कब किसी क़िस्म की तदबीर काम आती है ?
नामो-शोहरत को तो तक़दीर काम आती है ॥
जब मुक़ाबिल हों तोपें बेहतरीन बंदूकें ,
तब गुलेलें न तो शमशीर काम आती है ॥

-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...