Friday, July 26, 2013

मुक्तक : 287 - क्या ख़ूब हिमाक़त


क्या ख़ूब हिमाक़त की हमने ॥
बेशक़ ही ये ज़ुर्अत की हमने ॥
इक तरफ़ा औ उस पर तुर्रा ये ,
दुश्मन से मोहब्बत की हमने ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...