अपने हुनर-ओ-फ़न का पूरा
करके इस्तेमाल ॥
उसने दिखाया हमको इक बहुत
बड़ा क़माल ॥
कल तक वो पैसे-पैसे का मोहताज, नामचीन
बन बैठा आज रातों रात अमीर मालामाल ॥
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-06-2014) को "जिन्दगी तेरी फिजूलखर्ची" (चर्चा मंच 1652) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
धन्यवाद ! मयंक जी !
धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !
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