Tuesday, June 24, 2014

मुक्तक : 553 - क्या मस्त मैंने उसकी


क्या मस्त मैंने उसकी निगाहों को था पिया  ?
उसने भी हाथों हाथ मेरा दीद ले लिया ।।
उठ ही रहा था दोनों तरफ से गरम धुआँ ,
जलने से पहले दुनिया ने हमको बुझा दिया ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...