Wednesday, June 25, 2014

मुक्तक : 555 - हुस्न की अब क्या तेरे


हुस्न की अब क्या तेरे तारीफ़ में कहना ?
लेक जब लब आ गई ख़ामोश क्यों रहना ?
तेरे आगे मुफ़्त मिट्टी के सभी ढेले ,
तू खरे सोने का वज़्नी क़ीमती गहना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...