Friday, June 27, 2014

मुक्तक : 558 - बिना पर बाज से बेहतर


बिना पर बाज से बेहतर परिंदा मानने वालों ॥
मरे होकर हमेशा तक को ज़िंदा मानने वालों ॥
नहीं क्यों शर्म करते आख़री होकर करोड़ों में ,
हमेशा ख़ुद को दुनिया में चुनिंदा मानने वालों ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...