Monday, June 2, 2014

133 : ग़ज़ल - करवट बदल-बदल के


करवट बदल-बदल के मैंने उनकी की ख़बर ।।
सब रात जाग-जाग कर ही आज की बसर ।।1।।
ख़ुद की ख़बर न उसको जो रखे ज़ुबान पर ,
सब शह्र , हर गली की , कूचे-कूचे की ख़बर !!2!!
माँगे बग़ैर उसने क्या नहीं किया अता ,
चाही गई कभी न चीज़ नज़्र की मगर !!3!!
बस जन्नतों की , दोज़ख़ों की , आस्मान की ,
करते हैं फ़िक्र रात-दिन वो रह ज़मीन पर !!4!!
शैतानों को तो बाहरी भी पूज वो रहा ,
घर के फ़रिश्तों की भी कर रहा न क़द्र पर !!5!!
जैसे कि टल गई हो उसके सर से हर बला ,
मरने का मेरे उसने यों मनाया जश्न घर !!6!!
उसको मेरी ज़रूरतोंं की भी न फ़िक्र कुछ ,
पूरी की मैं ने जिसकी हर तमन्ना उम्र भर !!7!!
जा-जा के दुनिया भर का पूछे हाल-चाल वो ,
पुर्सिश को मेरी भूलकर न आए वो इधर !!8!!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...