Sunday, June 29, 2014

मुक्तक : 561 - बज़्म में मस्जिद में या


बज़्म में मस्जिद में या फिर मैक़दा आया ॥
दोस्तों को साथ ले या अलहदा आया ॥
जाने क्यों लेकिन हमेशा वो ख़ुशी में भी ,
साफ़ नमदीदा बड़ा ही ग़मज़दा आया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...