बज़्म में मस्जिद में या
फिर मैक़दा आया ॥
दोस्तों को साथ ले या अलहदा आया ॥
जाने क्यों लेकिन हमेशा वो ख़ुशी में भी ,
साफ़ नमदीदा बड़ा ही ग़मज़दा
आया ॥
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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