Saturday, June 28, 2014

मुक्तक : 559 - यों बुलायी अपने हाथों


यों बुलायी अपने हाथों सबकी शामत ॥
बिल्लियों की देख चूहों से मोहब्बत ॥
अहमक़ों ने शेर के हाथों में अपने,
भेड़ ,बकरों ,हिरनों की दे दी हिफाज़त ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...