Tuesday, June 24, 2014

मुक्तक : 552 - समुंदरों से कम की


समुंदरों से कम की ये न थाह लेता है ॥
हुजूमे ग़म जहाँ हो दिल पनाह लेता है ॥
इसे है शौक़ जैसे काँटो पे ही सोने का ,
कभी न नींद को ये ख़्वाबगाह लेता है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...