Saturday, June 21, 2014

मुक्तक : 550 - पोखर के गंदे पानी को


पोखर के गंदे पानी को कह डाल गंगा-जल ॥
खुर जैसे पंजों को भी तू कह ले चरण-कमल ॥
पर चापलूस ये तो ख़ुशामद की हद ही है ,
मतलब को तू गधे से करे बाप को बदल !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...