Thursday, May 29, 2014

मुक्तक : 532 - याद तेरी जहाँ पे


याद तेरी जहाँ पे मुझको तड़फड़ाती है ।।
आँख जिस जा पे जा के आँसू टपटपाती है ।। 
मुझको जाना न चाहिए वहाँ कभी लेकिन ,
चाल मेरी मेरे क़दम वहीँ बढ़ाती है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...