तक्लीफ़ पे तक्लीफ़ दर्द-दर्द पे दिया ॥
जो भी दिया था तुमने हाथों हाथ उसे लिया ॥
तुम जैसा न शौक़ीन-ए-ग़म कि दिल ही दिल में रो ,
हँस-हँस के सितम झेले सब कभी न उफ़ किया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
बहुत खूब ।
धन्यवाद ! सुशील कुमार जोशी जी !
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