Wednesday, March 26, 2014

मुक्तक : 515 - सच में ऐसे सँभाल


सच में ऐसे सँभाल कर रक्खे , 
जाँ के जैसे सँभाल कर रक्खे ,
हमने सब तेरे तोहफ़े अब तक I
तूने कैसे सँभाल कर रक्खे ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...