Friday, March 7, 2014

मुक्तक : 498 - हाथियों को बन्दरों


हाथियों को बन्दरों जैसा उछलने का लगा ।।
सेब खाती हिरनियों को गोश्त चखने का लगा ।।
जिसको देखो दायरे से अपने बाहर हो रहा ,
बिलबिलाते केंचुओं को शौक़ डसने का लगा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...