Wednesday, March 12, 2014

मुक्तक : 503 - उसके पहलू में सुबह


उसके पहलू में सुब्ह सोऊँ जाग रात करूँ ॥
इतना पाया न कभी वक़्त उससे बात करूँ ॥
उसकी सुह्बत की रही सिर्फ़ मेरी हस्रत ही ,
ख़ाली अर्मान रहा ससे मुलाक़ात करूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...