Thursday, March 6, 2014

मुक्तक : 497 - कितनी-कितनी मुश्किलेंं


कितनी-कितनी मुश्किलें , किस-किस क़दर दुश्वारियाँ ॥
तै है रोने-धोने की आएँगीं अनगिन बारियाँ ॥
कर रहा सब जान दिल के हाथ हो मज्बूर पर ,
चाँद से भोला चकोरा इश्क़ की तैयारियाँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। । होली की हार्दिक बधाई।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...