Wednesday, March 26, 2014

मुक्तक : 514 - इश्क़ में जाने कैसे-कैसे


इश्क़ में जाने कैसे-कैसे पापड़ बेले हैं ।।
शादी के तो बाद और भी विकट झमेले हैं ।।
पहले लगता था है अकेलापन इक बड़ी सज़ा ,
अब लगता है हमसे बेहतर निपट अकेले हैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...