Thursday, March 20, 2014

मुक्तक : 510 - कह पाओ रू-ब-रू


कह पाओ रू-ब-रू ना नाजुक-ओ-नरम दिल के II
पढ़ संगदिल भी जिनको हो जाएँ रहम दिल के II
पैग़ामे मोहब्बत वो भेज ऐसे कबूतर से ,
क़िर्तास पे वो कर सब जज़्बात रक़म दिल के II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...