सिदूर माँग का न पग की धूल हम हुए ।।
जूड़े का भी नहीं न
रह का फूल हम हुए ।।
उसने तो उसको चाहने
की छूट भी न दी ,
दिल रख के भी यों इश्क़
के फ़ुज़ूल हम हुए ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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