Wednesday, March 5, 2014

मुक्तक : 496 - सिदूर माँग का न


सिदूर माँग का न पग की धूल हम हुए ।।
जूड़े का भी नहीं न रह का फूल हम हुए ।।
उसने तो उसको चाहने की छूट भी न दी ,
दिल रख के भी यों इश्क़ के फ़ुज़ूल हम हुए ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...