Tuesday, March 25, 2014

मुक्तक : 513 - दुनिया न सही गाँव


दुनिया न सही गाँव-नगर होता तेरा मैं ।।
दिलबर न सही दोस्त अगर होता तेरा मैं ।।
रहती तसल्ली कुछ जो तुझसे रहती निस्बतें ,
दुश्मन ही सही कुछ तो मगर होता तेरा मैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...