Sunday, March 16, 2014

मुक्तक : 507 - ऊँट पर भी बैठ जो


ऊँट पर भी बैठ जो बाज़ार जायें हम ।।
काटने कुत्ते वहाँ भी पहुँचें दम के दम ।।
इस क़दर दुश्मन हमारे हो गए यारों ,
तोहफ़े खोलें तो लगता है न निकलें बम ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...