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मुक्तक : 948 - अदम आबाद
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
6 comments:
बहुत खुबसूरत !
नई पोस्ट साधू या शैतान
latest post कानून और दंड
बहुत सुन्दर।
आस-विश्वास मारे जा रहे हैं ॥
आम-ओ-ख़ास मारे जा रहे हैं ॥
पहले देते थे बस सुगंध पर अब ,
फूल सब बास मारे जा रहे हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
वो देखो शान से जूते खाते जा रहें हैं ,
"बात तो करेंगे फिर भी "कहे जा रहें हैं ,
उनके समर्थक हांके जा रहें हैं ,
जूता खाया है तो सोच समझके ही खाया होगा ,
अ
धन्यवाद ! राजीव कुमार झा जी !
धन्यवाद ! रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी !
धन्यवाद ! कालीपद प्रसाद जी !
धन्यवाद ! Virendra Kumar Sharma जी !
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