Friday, September 6, 2013

मुक्तक : 327 - ऐसा नहीं कि उससे


( चित्र google search से साभार )
ऐसा नहीं कि उससे मेरा ग़म था कहीं कम ॥
मैं नाचता था वो मनाता रहता था मातम ॥
तक्लीफ़ में ख़ुश रहने का फ़न मुझको था पता ,
वो लुत्फ़ो-मज़ा में भी ढूँढ लेता था इक ग़म ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

6 comments:

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

डॉ सुरेश राय said...

आनंद की अनुभूति. बहुत सुन्दर रचना

Mohan Srivastav poet said...

सुंदर प्रस्तुति,आप को गणेश चतुर्थी पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,श्री गणेश भगवान से मेरी प्रार्थना है कि वे आप के सम्पुर्ण दु;खों का नाश करें,और अपनी कृपा सदा आप पर बनाये रहें...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Mohan Srivastava Poet जी !

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Suresh Rai जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...