Sunday, September 22, 2013

मुक्तक : 346 - यूँ ही शेरों से



यूँ ही शेरों से नहीं कोई उलझ पड़ता है ?
जिसमें होता है दम-ओ-गुर्दा वही लड़ता है ॥
बज़्म-ए-रावण में कोई लँगड़ा पहुँच जाये मगर ,
पाँव अंगद की तरह कौन जमा अड़ता है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Ghanshyam kumar said...

वाह... बहुत सुन्दर...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Ghanshyam kumar जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...