Wednesday, September 25, 2013

मुक्तक : 348 - जिसका जैसा नसीब


जिसका जैसा नसीब होता है ॥
उसको वैसा नसीब होता है ॥
मुफ़लिसी गर लिखी हो क़िस्मत में ,
किसको पैसा नसीब होता है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-09-2013) चर्चा- 1380 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कालीपद "प्रसाद" said...

बढिया मुक्तक !

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डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

बहुत बहुत धन्यवाद ! रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी !

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! कालीपद प्रसाद जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...