वस्ल की जितना हो उम्मीद कमजकम रखना ॥
हिज्र के बाद भी हँसने
का दिल में दम रखना ॥
वर्ना मत भूलकर भी राहे
इश्क़ में अपनी ,
आँखें दौड़ाना-बिछाना-लगाना-नम
रखना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
5 comments:
बहुत सुन्दर
धन्यवाद ! अभिषेक कुमार झा अभी जी !
WAH ; UMDAA
धन्यवाद ! Harsh Tripathi जी !
बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर
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