Saturday, September 21, 2013

मुक्तक : 343 - न ख़्वाबों में


न ख़्वाबों में हक़ीक़त में मुलाकातें करेंगे पर......
मेरे सँग दिन-दुपहरी-शाम और रातें करेंगे पर.......
किया करते थे जैसे रूठने से पहले बढ़-बढ़ कर ,
मुझे लगता था वो इक रोज़ ख़ुद बातें करेंगे पर.......
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...