लगता खुली किताब है
जो एक राज़ वो ॥
दिखने में सीधा-सादा
बड़ा चालबाज़ वो ॥
कर-कर के बातें सिर्फ़ वफ़ा आश्नाई की ,
देता दग़ा है दिल पे
गिराता है गाज़ वो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
G.P.Sahu ki or se Naye saal ki bahut sari shuvh kamanaye mubarak ho
(Abhi se aur isi samay se -2014)
Aapke ye sare shair achche lahe
आपका बहुत धन्यवाद ! GP Sahu जी और vinay sahu जी ! आपको भी बहुत बहुत मुबारकबाद स्वीकार हो ।
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