Wednesday, September 4, 2013

मुक्तक : 325 - सदा जले थे


सदा जले थे जिसकी उत्कट भूख पिपासा में ॥
जिसे किया था प्रेम प्यार की ही प्रत्याशा में ॥
नहीं मिला साँसे देकर भी जिसका अंतर्तम ,
रहे अंत तक हाय उसी की ही अभिलाषा में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

डॉ सुरेश राय said...

वो धुंडते रहे शब्द का अर्थ प्रेम की परिभाषा मे
मैने जो खोल दी दिल की किताब जिज्ञासा मे

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Suresh Rai जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...