Wednesday, September 11, 2013

मुक्तक : 334 - इक नहीं खोटा


( चित्र google search से साभार )
इक नहीं खोटा सभी चोखे दिये हैं ॥
सब ने मिल-जुल कर जो कुछ धोख़े दिये हैं ॥
आस्तीनों में जो पाले साँप थे तो ,
मैंने ही डसने के ख़ुद मौक़े दिये हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...