Thursday, September 26, 2013

मुक्तक : 349 - सख़्त ख़ल्वत में



सख़्त ख़ल्वत में भयानक जले -कटे जैसी ॥
चील सी गिद्ध सी बाज और गरुड़ के जैसी ॥
जबसे महबूब उठा पहलू से मेरे तबसे ,
मैं हूँ नागिन तो रात मुझको नेवले जैसी ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...