सदा जले थे जिसकी उत्कट भूख पिपासा में ॥
जिसे किया था प्रेम प्यार
की ही प्रत्याशा में ॥
नहीं मिला साँसे देकर
भी जिसका अंतर्तम ,
रहे अंत तक हाय उसी की ही अभिलाषा में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
■ चेतावनी : इस वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी समस्त रचनाएँ पूर्णतः मौलिक हैं एवं इन पर मेरा स्वत्वाधिकार एवं प्रतिलिप्याधिकार ℗ & © है अतः किसी भी रचना को मेरी लिखित अनुमति के बिना किसी भी माध्यम में किसी भी प्रकार से प्रकाशित करना पूर्णतः ग़ैर क़ानूनी होगा । रचनाओं के साथ संलग्न चित्र स्वरचित / google search से साभार । -डॉ. हीरालाल प्रजापति
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
वो धुंडते रहे शब्द का अर्थ प्रेम की परिभाषा मे
मैने जो खोल दी दिल की किताब जिज्ञासा मे
धन्यवाद ! Suresh Rai जी !
Post a Comment