ये उसी की रज़ा थी इतना कामयाब हुआ ॥
सब उसी की दुआ से मुझको
दस्तयाब हुआ ॥
क्यों मुनादी न करूँ जबकि कम ही कोशिश में ,
जिसकी उम्मीद न थी सच वो मेरा ख़्वाब हुआ ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
4 comments:
बहुत खूब ।
धन्यवाद ! Neeraj Kumar जी !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (01-07-2013) को प्रभु सुन लो गुज़ारिश : चर्चा मंच 1293 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी !
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